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Wednesday, April 11, 2018

मेरी जयपुर यात्रा  भाग - 1

ऐतिहासिक शहर जयपुर भारत के राज्य राजस्थान की राजधानी है जोकि भारत की राजधानी दिल्ली से तक़रीबन 280 किलोमीटर दूर है |  जयपुर को पिंक सिटी यानि की गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है |  जयपुर शहर की स्थापना महाराजा जय सिंह द्वितीय (आमेर के महाराजा) ने की थी | उन्ही के नाम पर इस शहर का नाम जयपुर पड़ा | जयपुर शहर में बहुत से पर्यटन आकर्षण हैं जोकि पूरे भारत वर्ष से पर्यटकों को अपनी और खींचते है | हमारा भी काफी अरसे से जयपुर घूमने का मन था पर आजकल की व्यस्त ज़िन्दगी में समय निकालना कहाँ आसान है | आखिर हमने समय निकाल ही लिया और जयपुर घूमने का प्रोग्राम बना लिया | जयपुर जाने के कई साधन है जैसे रेल, बस, टैक्सी, या हवाई जहाज | बस तक़रीबन ५-६ घंटे लेती है | हमने जयपुर ट्रैन से जाने का फैसला किया | दिल्ली से कई ट्रेन्स जयपुर जाती है कोई आम गाड़ी पांच साढ़े पांच घंटे लेती है, इस रूट पर शताब्दी भी चलती है जो तक़रीबन साढ़े चार घंटे लेती है | आज कल इंटरनेट का जमाना है ट्रैन टिकट और होटल सब ऑनलाइन बुक हो जाता है | तो आखिर जयपुर के लिए निकलने का दिन आ गया | हमारी ट्रैन दिल्ली के सारे रोहिल्ला स्टेशन से चलनी थी और और हम सही समय पर स्टेशन पहुँच गए, और हमारी गाड़ी भी सही समय पर चल पड़ी | हम बहुत खुश थे आखिर हम जयपुर जाने का बहुत समय से इंतज़ार कर रहे थे | ऐसा लगता था मानो कोई सपना सच हो गया | ट्रैन ने जयपुर पहुँचने में पांच घंटे लिए और हम रात तक़रीबन ९:३० पर जयपुर पहुँच गए | हमारा होटल, होटल शगुन स्टेशन से पास ही था | होटल बहुत बड़ा तो नहीं पर हमारे हिसाब से ठीक था | होटल के कमरे भी साफ़ सुथरे थे | कमरा वातानुकूलित था और टीवी की  व्यवस्था भी थी |

होटल वाला बहुत अच्छा और हेल्पफुल व्यक्ति था | उसने हमारे जयपुर घूमने के लिए गाड़ी का इंतज़ाम भी कर दिया | अगली सुबह हम जयपुर भ्रमण के लिए तैयार थे और सही समय पर गाड़ी भी  पहुँच गयी  और हम जयपुर घूमने के लिए निकाल पड़े | कहाँ चलना है और कैसे जाना है इस सब को हमने गाड़ी वाले पर छोड़ दिया | गाड़ी वाला हमें सबसे पहले लक्ष्मी नारायण मंदिर ले आया |






लक्ष्मी नारायण मंदिर जिसे बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | ये  मंदिर भारत के कई और शहरों में भी स्थित है | जयपुर का लक्ष्मी नारायण मंदिर  सफेद संगमरमर से बना है और बहुत भव्य है | यह स्थान जोकि ऊंचाई पर स्थित है बहुत ही सुन्दर और मनमोहक है , मंदिर के आसपास बहुत हरियाली है | यहां कई देवी देवताओं की मूर्तियां और चित्र हैं जो व्यक्ति में बहुत श्रद्धा भाव लाते है । मंदिर के मुख्या कक्ष में मोबाइल का प्रयोग और फोटो  खींचना  वर्जित  है  यहाँ आकर मन को बहुत सकून मिला और जाने का मन नहीं कर रहा था |



हमारी अगली मंज़िल थी हवा महल |  हवा महल प्रसिद्ध जौहरी बाजार के पास स्थित है.| इसे सन 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने हवा महल को बनवाया था | इसे मुख्य तौर पर शाही परिवार की औरतो के लिए बनाया गया था ताकि वे सड़क पर हो रहे त्योहारों और उत्सवों का आनंद भीतर से ही ले सके क्योकि उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। यह एक बेहद खूबसूरत बिल्डिंग थी | हवा महल का निर्माण लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरो से किया गया है | हमने कुछ वक़्त यहाँ बिताया और फोटोज भी खिचवाये |




इसके बाद हम गए एक और प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल जंतर मंतर | जंतर मंतर, जयपुर एक खगोलीय अवलोकन स्थल है | देशभर में कुल ५ जंतर मंतर है जयपुर के अलावा जंतर मंतर दिल्ली, उज्जैन, वाराणसी, और मथुरा में भी है  |  जयपुर का जंतर मंतर इन सब में विशालतम है | इनका निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा किया गया था जो स्वयं भी एक खगोलशास्त्री थे |  जंतर मंतर में विभिन्न प्रकार के 19 उपकरण हैं जो दिन का स्थानीय समय, ग्रहण की भविष्यवाणी और नक्षत्रों की स्थिति बताते हैं। इन यंत्रो का प्रयोग आज भी ज्योतिष और मौसम सम्बन्धी कार्यो के लिए किया जाता है और इनसे मिलने वाली जानकारी सटीक होती है | वहां मौजूद गाइड इन यंत्रो के बारे में जानकारी पर्यटकों को दे रहे थे और इनकी कार्य प्रणाली के बारें में भी बता रहे थे  | सम्राट घड़ी सबसे विशाल यन्त्र है इसकी ऊंचाई लगभग ९० फ़ीट है जो की समय के बारे में जानकारी देती है | भारतीयों के अलावा कई विदेशी पर्यटक  भी जंतर मंतर का भ्रमण करने आये थे | कुछ देर जंतर मंतर में रुकने के बाद हम अपनी अगली मंज़िल जयपुर की सिटी पैलेस की तरफ चल दिए जोकि जंतर मंतर के नज़दीक ही स्थित है |








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